Friday 8 May 2020

अलामत


सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा ।

हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा ।

मैं ख़ुदा का नाम लेकर पी रहा हूँ दोस्तो
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा ।

रूठ जाना तो मुहब्बत की अलामत है मगर
क्या ख़बर थी मुझसे वो इतना ख़फ़ा हो जाएगा ।

कितनी सच्चाई से मुझ से ज़िन्दगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा, तो कोई दूसरा हो जाएगा ।

सब उसी के हैं, हवा, ख़ुश्बू, ज़मीन-ओ-आसमाँ
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा।

(अलामत = निशानी, पहचान)

 शायर - बशीर बद्र




No comments:

Post a Comment