कच्चे धागे में बंधा,
भाई-बहन का अटूट प्यार,
विश्व को हमारी सांस्कृतिक
परंपरा का अमूल्य उपहार--
रक्षा-बंधन धागों का त्यौहार !
परमेश्वर से प्रेम, उपदेशक से प्रेम,
माता-पिता से प्रेम, बच्चों से प्रेम,
देश-प्रेम, कला-प्रेम सभी सुना--
भाई-बहन के प्रेम के बखान में,
कवि क्यों रहा अनमना ?
धन्य हमारे पूर्वज,
इसके महत्व को समझा,
इस त्यौहार को चुना।
आवश्यक नहीं कि
वह सगा हो अपना,
जिसने कलाई पर बंधवाई,
वह स्वत: भाई बना।
भाई देता रक्षा का वचन,
बहन करती मंगल-कामना।
कवी -- गोपाल सिन्हा
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