मास्क क्यों लगाया है,
चेहरा क्यों छुपाया है?
ऐ इंसान अब बता,
कयामत का दिन कौन लाया है!
कल तक तो बताता था
आसमाँ पर भी हुकूमत है तेरी
अब घर में घुसकर
पर्दा भी क्यों लगाया है?
परमाणु परीक्षण करने वाले
आज हाथ क्या आया है,
कितने गुनाह छुपाए तूने
कितने मास्क लगाए हैं,
कितना माहिर था तू
नकाब पहन प्रकृति से,
छेड़छाड़ कर छुप जाने में
तो आज दिखने वाला
मास्क क्यों लगाया है?
ऐ इंसान अब बता,
कयामत का दिन कौन लाया है!
जानती हूँ ये घुटन है ;
घुटन है घूँघट से बुरी,
क्योंकि अब पर्दा
सबने लगाया है
कहाँ था, कहाँ आ गया?
जीने के लिए
चेहरा तक छुपाया है।
आज नहीं निकलेगा बाहर?
आज नहीं करेगा इस
प्रकृति का हनन?
अब भी लालच में अंधा है,
या आज होश कुछ आया है?
मास्क क्यों लगाया है,
चेहरा क्यों छुपाया है?
ऐ इंसान अब बता,
कयामत का दिन कौन लाया है!
कितने ही जुर्म गिनाऊँ तेरे,
रौंधा है गला मेरा,
दिल भी अब भर आया है
ऐ इंसान अब बता,
कयामत का दिन कौन लाया है!
कवयित्री - रितिका
मास्क on Amazon.in
No comments:
Post a Comment