सारे जहाँ से अच्छा,
हिन्दोस्ताँ हमारा।
हम बुलबुलें हैं इसकी,
यह गुलिसताँ हमारा।।
ग़ुरबत में हों अगर हम,
रहता है दिल वतन में।
समझो वहीं हमें भी,
दिल हो जहाँ हमारा।। सारे...
परबत वो सबसे ऊँचा,
हमसाया आसमाँ का।
वो संतरी हमारा,
वो पासबाँ हमारा।। सारे...
गोदी में खेलती हैं,
उसकी हज़ारों नदियाँ।
रश्क-ए-जिनाँ हमारा।। सारे....
ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा!
वो दिन है याद तुझको।
उतरा तेरे किनारे,
जब कारवाँ हमारा।। सारे...
मज़हब नहीं सिखाता,
आपस में बैर रखना।
हिन्दी हैं हम वतन हैं,
हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे...
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा,
सब मिट गए जहाँ से।
अब तक मगर है बाक़ी,
नाम-ओ-निशाँ हमारा।। सारे...
कुछ बात है कि हस्ती,
मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन,
दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे...
'इक़बाल' कोई महरम,
अपना नहीं जहाँ में।
मालूम क्या किसी को,
दर्द-ए-निहाँ हमारा।। सारे...
कवी - इक़बाल (मुहम्मद इक़बाल मसऊदी)
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