सोचती हूँ कुछ करने की
आसमान में उड़ने की
फिर धीरे से लोगों की
आवाज घुलती है कानो में
तुमसे ना हो पाएगा,
तुमसे ना हो पाएगा,
चाहती हूँ कुछ करना
अपने सपनों को पंख देना
तैयारी पूरी करती हूँ
एकाएक आवाज़ आती है
तुमसे ना हो पाएगा,
तुमसे ना हो पाएगा,
ये कैसी दुनियाँ है
चलने से पहले पैर बांधती
उड़ने से पहले पंख काटती
ये कहकर हौसले को मारती कि
तुमसे ना हो पाएगा,
तुमसे ना हो पाएगा,
एक दिन जब आएगा
सबको कुछ उम्मीदें होंगी
चाहते हमसे लगाई होंगी
उस दिन मेरे मुहँ से यही आवाज आएगी
हमसे ना हो पाएगा,
हमसे ना हो पाएगा,
जिंदगी में यही सुना है
इसका पूरा भरोसा हुआ है
नाकारा हम थे फिर भी
इसका ईनाम तो दुनियाँ ने दिया है
तुमसे ना हो पाएगा,
तुमसे ना हो पाएगा!
कवयित्री - दीक्षा चतुर्वेदी
आसमान में उड़ने की
फिर धीरे से लोगों की
आवाज घुलती है कानो में
तुमसे ना हो पाएगा,
तुमसे ना हो पाएगा,
चाहती हूँ कुछ करना
अपने सपनों को पंख देना
तैयारी पूरी करती हूँ
एकाएक आवाज़ आती है
तुमसे ना हो पाएगा,
तुमसे ना हो पाएगा,
ये कैसी दुनियाँ है
चलने से पहले पैर बांधती
उड़ने से पहले पंख काटती
ये कहकर हौसले को मारती कि
तुमसे ना हो पाएगा,
तुमसे ना हो पाएगा,
एक दिन जब आएगा
सबको कुछ उम्मीदें होंगी
चाहते हमसे लगाई होंगी
उस दिन मेरे मुहँ से यही आवाज आएगी
हमसे ना हो पाएगा,
हमसे ना हो पाएगा,
जिंदगी में यही सुना है
इसका पूरा भरोसा हुआ है
नाकारा हम थे फिर भी
इसका ईनाम तो दुनियाँ ने दिया है
तुमसे ना हो पाएगा,
तुमसे ना हो पाएगा!
कवयित्री - दीक्षा चतुर्वेदी
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